भारत की राजनीति संयुक्त संसदीय प्रतिनिधीय लोकतांत्रिक राज्य के ढांचे में ढली है, जहां पर प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है, और बहु-दलीय तंत्र होता है । शासन एवं सत्ता सरकार के हाथ में होती है । संयुक्त वैधानिक बागडोर सरकार एवं संसद के दोनो सदनों, लोक सभा एवं राज्य सभा के हाथ में होती है । न्याय मण्डल शासकीय एवं वैधानिक, दोनो से स्वतंत्र होता है। पर इस वक़्त लोकतंत्र से फॉरवर्ड बैकवर्ड कास्ट वाली भावनाओं को हटाने की जरुरत है ! नहीं तो बैक्वोर्ड समाज लुट लुट कर ख़तम ही हो जायेगा! इसके लिए अलग से कोई नियम बनाने के बजाये अपनी मन से बुरे भावनाओ को हटाना होगा ! जो सायद संभव नहीं है ! पर पक्षपात वाली राजनीती घातक सिध्ध हो सकती है
संविधान के अनुसार, भारत एक प्रधान, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक राज्य है, जहां पर सरकार जनता के द्वारा चुनी जाती है । अमेरिका की तरह, भारत में भी संयुक्त सरकार होती है, लेकिन भारत में केन्द्र सरकार राज्य सरकारों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है, जो कि ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है । बहुमत की स्थिति में न होने पर सरकार न बना पाने की दशा में अथवा विशेष संवेधानिक परिस्थिति के अंतर्गत, केन्द्र सरकार राज्य सरकार को निष्कासित कर सकती है, और सीधे संयुक्त शासन लागू कर सकती है, जिसेराष्ट्रपति शासन कहा जाता है ।
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