Monday, March 31, 2014

Political Parties in India

Political Parties in India

India is the largest democratic country with an electorate of more than 714 million (which is larger than combined numbers of US and Europe) and the election are not held at once for the entire country but a series of elections are held which cover the whole India by holding elections in a specific numbers of states. Regular elections are held at the end of tenure of the respective government.
This is the season of elections in India as 7 states of India will see the legistative assembly election in 2012. The these states includes Goa, Gujarat, Himachal Pradesh, Manipur, Punjab, Uttar Pradesh and Uttarakhand. If you are visiting India during this time, you could see many political parties campaigning in these states.
Election Results of 2009
Election Results of 2009
There are large number of political parties in India as Indian constitution allows multiparty political system  Let’s me show you some prominent political parties in India.
1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress, in short INC)
The Indian National Congress is the first political party in India. It was founded in pre-independence time, in 1885 and had prominent freedom fighters including Mahatma Gandhi as it’s members. It has actively participated in the freedom struggle of India. After independence, it became the dominant political party in India. Even today, it is biggest political party and presently, it is also the ruling party of India.
Election Symbol of Indian National Congress
Election Symbol of Indian National Congress
2. भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party, in short BJP)
Bhartiya Janta Party is the second biggest political party of India. It was founded in 1980. It is different as compared to INC as it favors Hindu nationalism and strongly advocates conservative social policies, self-reliance, free market capitalistic policy, foreign policy driven by a nationalist agenda, and strong national defense. It also favor some strict laws against terrorism. This is in contrast to  the present ruling political party, INC which has shown its weakness to handle such menace.
Election Symbol of Bhartiya Janta Party
Election Symbol of Bhartiya Janta Party
3. बहुजन समाज पार्टी (Bhahujan Samajwadi Party, in short BSP)
The BSP was founded by 1984 and now the third largest party in India.  “Bhahujan” in Bhahujan Samajwadi Party means “the people of majority”. It favors the welfare of lower classes, secularism, social welfare in India. It has majority in the state of Uttar Pardesh.
Election Symbol of Bhahujan Samajwadi Party
Election Symbol of Bhahujan Samajwadi Party
There are other political parties which are regional like समाजवादी  पार्टी (Samajwadi Party), भारतीय कोम्मुनिस्ट पार्टी (Communist Party of India) etc.

भारतीय राजव्यवस्था ( Indian Politics)

Indian Politics

भारतीय राजव्यवस्था ( Indian Politics)
  • सन १९४६ में कैबिनेट मिशन प्लान के अंतर्गत भारत के संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा के गठन का प्रस्ताव रखा गया
  • बी एन राव को संविधान सभा संवैधानिक सलाह कर नियुक्त किया गया था |
  • संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन ९ दिसंबर,१९४६ को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में प्रारंभ हुआ |
  • डा. सच्चिदानंद सिन्हा को सर्व सम्मति से अस्थायी अध्यक्ष चुना गया |
  • ११ दिसंबर,१९४६ की बैठक में डा. राजेन्द्र प्रसाद को सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया |
  • १३ दिसंबर, १९४६ को पं. जवाहर लाल नेहरु ने उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत कर संविधान की आधारशिला रखी|
  • संविधान निर्माण का कार्य करने के लिए अनेक समितियां बनायीं गयी, जिनमे प्रमुख डा. आंबेडकर की अध्यक्षता में बनी ७ सदस्यों वाली प्रारूप समिति थी |
  • प्रारूप समिति में डा. अम्वेड़कर के अतिरिक्त सर्वश्री एन. गोपाल स्वामी आयंगर अल्लादी क्रष्णास्वामी अय्यर, के . एम मुंशी , मोहम्मद सादुल्लाह, दी पी. खेतान(1948 में इनकी मरतु के पश्चात टी टी क्रष्णामाचारी ) और एन. माधवराव अन्य सदाशय थे |
  • संविधान को टायर करने में २ साल ११ महीने 18 दिन का समय लगा |
  • संविधान २६ नवम्बर १९४९ को बन कर तैयार हो गया था और इसी दिन एस पर अध्यक्ष के हस्ताक्षर हुए |
  • हालाँकि संविधान २६ नवम्बर १९४९ को बन कर तैयार हो गया था परन्तु इसके अधिकतर भागो को २६ जनबरी १९५० को लागु किया गया क्यूंकि सन १९३० से ही सम्पूर्ण भारत में २६ जनवरी का दिन स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाया जाता था | इसी लिए २६ जनवरी १९५० को प्रथम गणतंत्रता दिवस मनाया जाता है |
  • संविधान सभा की अंतिम बैठक २४ जनवरी १९५० को हुयी और इसी दिन संविधान सभा द्वारा डा. राजेंदर प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया|
  • नव निर्मित संविधान में ३९५ अनुच्छेद २२ भाग तथा ८ अनुसूचिय थी |
  • डा. भीमराव अम्वेड़कर को भारतीय संविधानके जनक के रूप में जाना जाता है |

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कांग्रेसियों के इन बयान.......

वोट देने के पहले नीच कांग्रेसियों के इन बयानों को जरुर याद रखे...

 1. बोफोर्स की ही तरह कोयला घोटल भी जनता भूल जायेगी – सुशील शिंदे

 2. पुलिस और सेना के लोग मरने के लिए ही होते हैं – भीम सिंह

 3. हमारे सैनिकों को पाकिस्तान की सेना ने नहीं बल्कि उनकी वर्दियों में आतंकवादियों ने मारा है - एके एंटनी

 4. पीने के लिए पानी नहीं है तो क्या बांधों में मूतकर के पानी ला दूं - अजित पवार

 6. महंगाई ज्यादा सोना खरीदने की वजह से बढ़ रही है – पी चिदंबरम

 7. पैसे पेड़ पर नहीं लगते – मनमोहन सिंह

8. हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है जिससे महंगाई पर काबू किया जाये – मनमोहन सिंह

9. गायों को काटने से देश को कोई नुकसान नहीं अगर नहीं काटेंगे तो बूड्डी होकर देश पर आफत बनेगी - शरद पवार

10. सोनिया जी कहे तो मैं झाडू पोछा भी लगाउँगा : चरणों वाला चरण दास !

11. ईस्ट इंडिया कंपनी 400 साल भारत को लूटने आई थी मैं आपको फिर निमंत्रण देने आया हूँ अगले 200 सालोंके लिए आप फिर भारत चले आयें ! देअर विल बी ह्यूज रिवॉर्ड फॉर इंडिया - पी चिदम्बरम (1996 लंदन )

12. भारत माता डायन है : आजम खान

13. 5 रुपए मे लोग पेट भर खाना खा सकते हैं : राज बब्बर

14. अगर हम गाय की रक्षा करने लगे तो दुनिया कहेगी हम भारत को 15 वी शताब्दी मे ले जा रहे हैं : नेहरू 1952
( मतलब गाय काटने से देश 21 वीं शताब्दी मे जाएगा ? )

16. महंगाई के लिए गरीब जिम्मेदार : मनमोहन सिंह !

 17. इस देश को इस्लामिक नही बल्कि हिन्दू आतंकियों से ज्यादा खतरा है – राहुल गाँधी उर्फ़ पप्पू पेजर

18. वन्देमातरम नहीं बोलूंगा : हमीद अंसारी

19. बाटला हाउस में आतंकवादियों के मरने पर सोनिया जी बहुत रोयीं थीं - सलमान खुर्शीद

20. जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो आसपास की जमीन हिल जाती है (4500 सिख भाइयो के कत्लेआम के बाद ) :राजीव गांधी,

21. लोग ज्यादा ज्यादा खाना खाते हे इसीलिए महंगाई ज्यादा बढती हे - चिदंबरम फाइनेंस मिनिस्टर

22. देश में गरीब नामकी कोई चीज नही है, ये सब लोगोकी मानसिक बीमारी हे - साहेब जावड़े .

23. जब बीबी पुरानी हो जाती है तो वो मजा नही देती - कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जैसवाल

24. विमान के इकोनोमिक क्लास को कैटल क्लास कहना चाहिए क्योकि इकोनोमिक क्लास में सफर करने वाले गरीब जाहिल और जानवर होते है  - शशी थरूर

26.  मै जब चाहू तब सांसद बन सकता हूँ मेरे लिए ये बहूत छोटी बात है (सांसद या सांसद बनना ?)- राबर्ट वढेरा, राष्ट्रीय जमाई

27. यूपी वाले भिखारी है ये पंजाब और गुजरात में जाकर भीख मांगते है - राहुल गाँधी

28. पंजाबी लोग नशेड़ी होते है - राहुल गाँधी

एक बार वोट देने से पहले इन बातों पर गौर जरूर करना

अरविंद केजरीवाल : प्रोफाइल



अरविंद केजरीवाल एक भारतीय राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे पहले भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में थे और बाद में नौकरी छोड़कर वे सामाजिक, राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े हैं। उन्हें 2006 में रमन मैगसेसे पुरस्कार दिया गया था। 

उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ गरीबतम आदमी का पक्ष मजबूत करने के लिए उसे सूचना का अधिकार देने का कानून बनवाया। वे एक एनजीओ 'साथी' से भी जुड़े हुए हैं। केजरीवाल ने ‍पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन नाम का एक गैर-सरकारी संगठन भी बनाया है। नवंबर, 2012 में उन्होंने 'आम आदमी पार्टी' की शुरुआत की है और उनका दावा है कि उनकी पार्टी का उद्देश्य स्वराज है। 

केजरीवाल ( Arvind Kejriwal Profile in Hindi ) का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा राज्य के हिसार जिले के सिवानी गांव में हुआ था। गोविंद और गीता केजरीवाल उनके पिता और माता हैं। वे अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। उनके पिता भी एक इंजीनियर थे जिन्होंने पिलानी के बिड़ला इंस्टीट्‍यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस से डिग्री ली थी। अरविंद का बचपन सोनीपत, मथुरा और हिसार में बीता। 

केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली और टाटा स्टील में काम करने के बाद वे 1992 में भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए। वे मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी, रामकृष्ण मिशन और नेहरू युवा केन्द्र से भी जुड़े रहे हैं। 2006 में जब वे आयकर विभाग में संयुक्त आयुक्त थे तब उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी। 

अरविंद का विवाह सुनीता से हुआ जो खुद भ‍ी एक आईआरएस अधिकारी हैं और फिलहाल आयकर विभाग में अतिरिक्त आयुक्त हैं। दम्पति के दो बच्चे हैं, जिनसे एक बेटी हर्षिता और बेटा पुलकित है। केजरीवाल ने 'स्वराज' नामक एक पुस्तक भी लिखी है। वे शाकाहारी हैं, हालांकि कुछेक महीनों के लिए वे मांसाहारी बन गए थे, लेकिन बाद में उन्होंने मांसाहार छोड़ दिया और वे पिछले कई वर्षों से विपासना का अभ्यास कर रहे हैं।

वर्ष 1999 में जब वे सरकारी सेवा में थे तभी उन्होंने परिवर्तन नाम का आंदोलन चलाया था, जिसके जरिए उन्होंने दिल्ली और आसपास के इलाकों में लोगों की मदद करने का लक्ष्य रखा। सूचना का अधिकार कानून बनाने के लिए उन्होंने अरुणा रॉय के साथ चुपचाप सामाजिक आंदोलन चलाया था। 2005 में यह देशव्यापी कानून बनवाने में मदद की। उन्हें इसके लिए देश भर से पुरस्कार और प्रोत्साहन मिला। 

बाद में उन्होंने जन लोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे के साथ मिलकर अनशन किया और धरनों, प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। देश भर से उन्हें समर्थन मिला और उन्होंने प्रशांत भूषण, शांति भूषण, संतोष हेगड़े और किरण बेदी के साथ मिलकर जन लोकपाल के लिए आंदोलन चलाया, लेकिन यह आंदोलन सरकारी पेंतरेबाजी और राजनीतिक दलों की खींचतान के चलते आगे नहीं बढ़ सका। इसके लिए अन्ना हजारे और केजरीवाल जेल भी गए, लेकिन अंतत: कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल सका। 

भारी विरोध और लम्बे विचार विमर्श के बाद संसद ने लोक पाल बिल का मसौदा बनाने के लिए तीन बिंदुओं पर विचार करने का प्रस्ताव पास किया था। 

आम आदमी पार्टी (aam adami party) : अरविंद केजरीवाल के साथ काम करने वाले हजारे और किरण बेदी ने जन लोकपाल के लिए किसी भी पार्टी से जुड़ने से इनकार कर दिया और दोनों ने खुद को केजरीवाल से अलग कर लिया और इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन से जुड़े अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे केजरीवाल से दूर रहें। इसके बाद केजरीवाल राजनीति में सक्रिय हो गए और उन्होंने 2 अक्टूबर, 2012 को एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया और 24 नवंबर, 2012 को इसे आम आदमी पार्टी का नाम दिया। 

रहस्योद्‍घाटनों का दौर : अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने से पहले एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तौर पर केजरीवाल ने रॉबर्ट वाड्रा, सलमान खुर्शीद, नितिन गडकरी, उद्योगपतियों और नेताओं के खिलाफ आरोप लगाए। इन नेताओं में बाद में राष्ट्रपति पद पर चुने गए कांग्रेस के शीर्षनेता प्रणब मुखर्जी भी शामिल रहे हैं।

आम आदमी पार्टी के 45 वर्षीय नेता ने सामने से मोर्चा संभालकर गैरपरंपरागत तरीके से अपनी मुहिम शुरू की और उनकी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर कांग्रेस के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया।

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अरविंद केजरीवाल ने ‘आप’ को सत्ता में लाकर राजनीतिक सोच बदल दी है। आम आदमी पार्टी (आप) की इस जीत से कार्यकर्ताओं की उस पार्टी ने उस व्यंग्य का एक मीठा-सा बदला ले लिया है जिसमें उसे कभी ‘बेहद कमजोर’ बताया गया था।

‘आप’ के एजेंडे में आम आदमी के हितों को केंद्र में रखते हुए केजरीवाल ने 3 बार मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित को हरा दिया। बहुमत नहीं मिलने पर आम आदमी पार्टी को कांग्रेस ने समर्थन की पेशकश की और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में जनता से राय मांगकर पूछा कि उन्हें सरकार बनानी चाहिए या नहीं। 

सोशल मीडिया से लेकर गली-गली में सड़को पर जनता से राय ली गई। इसमें करीब 75 प्रतिशत जनता ने कहा कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली में सरकार बनानी चाहिए। इस तरह अपने गठन के पहले ही साल में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सरकार बनाई और अरविंद केजरीवाल दिल्ली के 9वें मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री की शपथ के दौरान भी केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने वीआईपी सुविधाओं से दूर मेट्रो ट्रेन और बसों से रामलीला मैदान पहुंचकर शपथ ग्रहण की। 

नरेंद्र मोदी का जीवन परिचय

narendra modi
नरेंद्र मोदी का जीवन परिचय
गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री और भाजपा के लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर, 1950 को गांव वादनगर, उत्तरी गुजरात के एक साधारण मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. लेकिन उन्हें एक समृद्ध संस्कृति धरोहर के रूप में मिली थी. वादनगर के एक स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, गुजरात यूनिवर्सिटी से नरेंद्र मोदी ने राजनीति विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. नरेंद्र मोदी का कहना है कि कारगिल युद्ध के समय उन्होंने स्वयंसेवी के तौर पर आर्मी के जवानों को सहायता मुहैया करवाई थी. युवावस्था में ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्यता ग्रहण कर नव निर्माण नामक आंदोलन का हिस्सा बन गए थे. इस संगठन के साथ सक्रियता से काम करने के बाद उन्हें भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में मनोनीत किया गया. वर्तमान में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के देशभक्त दक्षिणपंथी मोर्चे के सदस्य हैं.

नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व
नरेंद्र मोदी के मस्तिष्क में बचपन से ही राष्ट्रभावना विद्यमान थी. भारत-पाक युद्ध हो या कोई प्राकृतिक आपदा, हर मुश्किल के समय उन्होंने स्वयंसेवी के रूप में समाज सेवा करना अपना कर्तव्य समझा. वह एक प्रगतिशील और व्यावहारिक व्यक्तित्व वाले नेता हैं.

नरेंद्र मोदी का राजनैतिक सफर
नरेंद्र मोदी स्कूल और कॉलेज के दिनों में ही आरएसएस जैसे हिंदूवादी संगठन का हिस्सा बन गए थे. आरएसएस के साथ अपने कार्यकाल के दौरान नरेंद्र मोदी ने विभिन्न क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का शोकजनक काल सबसे प्रमुख है. इस दौरान नागरिकों के मानवाधिकारों का हनन होने पर नरेंद्र मोदी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर प्रचारक के तौर पर अपने दल की नीतियों और जरूरत को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया. भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा बनने के बाद दल के भीतर मोदी की छवि एक कुशल रणनीतिकार की बन गई थी. वर्ष 1990 में जब गठबंधन की सरकार बनने के बाद भाजपा को केंद्रीय सत्ता में आने का मौका मिला तब पार्टी की लोकप्रियता बढ़ने लगी. लेकिन कुछ समय चली इस सरकार ने भाजपा और नरेंद्र मोदी को मजबूत राजनैतिक आधार प्रदान कर दिया था. दो-तिहाई बहुमत के साथ गुजरात में भाजपा ने वर्ष 1995 के चुनाव जीत लिए. तब से लेकर अब तक गुजरात में भाजपा का ही एकाधिकार है. केशुभाई पटेल के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए नरेंद्र मोदी को पार्टी को महासचिव बनाकर दिल्ली भेजा गया. वर्ष 1995 मोदी के राजनैतिक सफर के लिए बहुत महत्वपूर्ण था. महासचिव रहते हुए पहली बार किसी युवा नेता को देश के पांच बड़े राज्यों में पार्टी का प्रभारी बनाया गया था. राष्ट्रीय स्तर पर काम करते हुए नरेंद्र मोदी को उत्तर-पूर्वी और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्यों में पार्टी के संचालन का कार्यभार प्रदान किया गया.. वर्ष 2001 में केशुभाई पटेल को हटाए जाने के बाद नरेंद्र मोदी को सर्वसम्मति से गुजरात के मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया.

केजरीवाल से भयभीत हैं मोदी ?


नरेंद्र मोदी का योगदान
गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए नरेंद्र मोदी ने पार्टी और अपने राज्य में बहुत लोकप्रियता हासिल कर ली. उन्हें एक प्रगतिशील नेता के रूप में पहचान भी मिली.

  • जिस समय नरेंद्र मोदी को गुजरात का प्रभार सौंपा गया, उस समय गुजरात आर्थिक और सामाजिक दोनों ही क्षेत्र में बहुत पिछड़ा हुआ था. नरेंद्र मोदी के उत्कृष्ट प्रयासों द्वारा गुजरात ने उनके पहले कार्यकाल के दौरान ही सकल घरेलू उत्पाद में 10% तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
  • गुजरात के एकीकृत विकास के लिए नरेंद्र मोदी ने कई योजनाओं को भी लागू किया, जिसमेंपंचामृत योजना सबसे प्रमुख है.
  • जल संसाधनों का एक ग्रिड बनाने के लिए नरेंद्र मोदी ने सुजलाम सुफलाम नामक योजना का भी संचालन किया जो जल संरक्षण के क्षेत्र में बहुत प्रभावी सिद्ध हुई है.
  • कृषि महोत्सव, बेटी बचाओ योजना, ज्योतिग्राम योजना, कर्मयोगी अभियान, चिरंजीवी योजना जैसी विभिन्न योजनाओं को भी नरेंद्र मोदी द्वारा लागू किया.
  • जनवरी 2001 में आए भयंकर भूचाल में सबसे ज्यादा नुकसान गुजरात के भुज शहर को ही हुआ. भुज एक कमजोर नींव पर बने मकानों वाला शहर है. इस भूकंप ने पूरे शहर को तितर-बितर कर दिया. नरेंद्र मोदी ने अपने प्रयासों द्वारा आपदा प्रबंधन और पुनर्वास के लिए बहुत कार्य किए. प्रभावी प्रयासों के लिए नरेंद्र मोदी को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा उत्कृष्ट योगदान के लिए योग्यता पत्र भी प्रदान किया गया.
नरेंद्र मोदी से जुड़े विवाद
नरेंद्र मोदी के साथ गुजरात दंगों में शामिल होने का आरोप जुड़ा हुआ है. उन्हें हिंदू-मुसलमानों की आपसी भावनाओं को भड़काने और दंगों में कोई प्रभावी कदम ना उठाने जैसे कई आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. दंगों के बाद सभी विपक्षी पार्टियों ने मोदी से इस्तीफा देने की मांग कर डाली. वर्ष 2009 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक विशेष जांच टीम का गठन कर उसे गुजरात दंगों की वजह और अभियुक्तों की पड़ताल करने का काम दिया गया. लेकिन SIT  की रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी के विरुद्ध सबूत ना होने का हवाला दिया गया. जिसके बाद मोदी को क्लीन चिट मिल गई. हालांकि कई अखबारों ने यह मुद्दा उठाया कि अपनी पहुंच का प्रयोग कर मोदी इस आरोप से मुक्त हुए हैं. उन्होंने दंगों को रोकने के लिए कोई कठोर कदम नहीं उठाए, इतना ही नहीं उन्होंने मुसलमानों की हत्या को भी जायज ठहराया है. बीजेपी ने इसे कांग्रेस की साजिश बता आरोप को नकार दिया.
नरेंद्र मोदी को दिए गए सम्मान
  • 2006 और 2007 में हुए एक देशव्यापी सर्वे के आधार पर इंडिया टुडे पत्रिका ने दोनों बार नरेंद्र मोदी को ही सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री चुना
  • 2009 में एफडीआई पत्रिका ने सभी एशियाई देशों में से नरेंद्र मोदी को एफडीआई पर्सनैलिटी का खिताब प्रदान किया.
  • वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के दौरान अनिल अंबानी ने नरेंद्र मोदी को भारत के अगले नेता के रूप में संबोधित किया.
  • गुजरात में आए भूकंप में राहत कार्य और आपदा प्रबंधन के सफल प्रयासों के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा नरेंद्र मोदी को योग्यता पत्र प्रदान किया गया.
लाल कृष्ण आडवाणी के शागिर्द माने जाने वाले नरेंद्र मोदी एक कुशल और व्यवहारिक मुख्यमंत्री हैं. इस मुकाम पर वह अपने कठोर परिश्रम और मेहनत के बूते पर ही पहुंचे हैं. समाज की उन्नति और विकास के लिए वह हमेशा प्रयासरत रहते हैं.


PRAVEEN

Friday, March 28, 2014

डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर

Dr. B R Ambedkar Jayanti in Hindi
Dr. B R Ambedkar

20वीं शताब्दी के श्रेष्ठ चिन्तक, ओजस्वी लेखक, तथा यशस्वी वक्ता एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री डॉ. भीमराव आंबेडकर भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माणकर्ता हैं। विधि विशेषज्ञ, अथक परिश्रमी एवं उत्कृष्ट कौशल के धनी व उदारवादी, परन्तु सुदृण व्यक्ति के रूप में डॉ. आंबेडकर ने संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। डॉ. आंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक भी माना जाता है।

छुआ-छूत का प्रभाव जब सारे देश में फैला हुआ था, उसी दौरान 14 अप्रैल, 1891 को बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जन्म हुआ था। बचपन से ही बाबा साहेब ने छुआ-छूत की पीङा महसूस की थी। जाति के कारण उन्हें संस्कृत भाषा पढने से वंचित रहना पड़ा था। कहते हैं, जहाँ चाह है वहाँ राह है। प्रगतिशील विचारक एवं पूर्णरूप से मानवतावादी बङौदा के महाराज सयाजी गायकवाङ ने भीमराव जी को उच्च शिक्षा हेतु तीन साल तक छात्रवृत्ती प्रदान की, किन्तु उनकी शर्त थी की अमेरिका से वापस आने पर दस वर्ष तक बङौदा राज्य की सेवा करनी होगी। भीमराव ने कोलम्बिया विश्वविद्यालय से पहले एम. ए. तथा बाद में पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की ।
उनके शोध का विषय “भारत का राष्ट्रीय लाभ” था। इस शोध के कारण उनकी बहुत प्रशंसा हुई। उनकी छात्रवृत्ति एक वर्ष के लिये और बढा दी गई। चार वर्ष पूर्ण होने पर जब भारत वापस आये तो बङौदा में उन्हे उच्च पद दिया गया किन्तु कुछ सामाजिक विडंबना की वजह से एवं आवासिय समस्या के कारण उन्हें नौकरी छोङकर बम्बई जाना पङा। बम्बई में सीडेनहम कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर नियुक्त हुए किन्तु कुछ संकीर्ण विचारधारा के कारण वहाँ भी परेशानियों का सामना करना पङा। इन सबके बावजूद आत्मबल के धनी भीमराव आगे बढते रहे। उनका दृण विश्वास था कि मन के हारे, हार है, मन के जीते जीत। 1919 में वे पुनः लंदन चले गये। अपने अथक परिश्रम से एम.एस.सी., डी.एस.सी. तथा बैरिस्ट्री की डिग्री प्राप्त कर भारत लौटे।
1923 में बम्बई उच्च न्यायालय में वकालत शुरु की अनेक कठनाईयों के बावजूद अपने कार्य में निरंतर आगे बढते रहे। एक मुकदमे में उन्होने अपने ठोस तर्कों से अभियुक्त को फांसी की सजा से मुक्त करा दिया था। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया। इसके पश्चात बाबा साहेब की प्रसिद्धी में चार चाँद लग गया।
डॉ. आंबेडकर की लोकतंत्र में गहरी आस्था थी। वह इसे मानव की एक पद्धति (Way of Life) मानते थे। उनकी दृष्टी में राज्य एक मानव निर्मित संस्था है। इसका सबसे बङा कार्य “समाज की आन्तरिक अव्यवस्था और बाह्य अतिक्रमण से रक्षा करना है।“ परन्तु वे राज्य को निरपेक्ष शक्ति नही मानते थे। उनके अनुसार- “किसी भी राज्य ने एक ऐसे अकेले समाज का रूप धारण नहीं किया जिसमें सब कुछ आ जाय या राज्य ही प्रत्येक विचार एवं क्रिया का स्रोत हो।“
अनेक कष्टों को सहन करते हुए, अपने कठिन संर्घष और कठोर परिश्रम से उन्होंने प्रगति की ऊंचाइयों को स्पर्श किया था। अपने गुणों के कारण ही संविधान रचना में, संविधान सभा द्वारा गठित सभी समितियों में 29 अगस्त, 1947 को “प्रारूप-समिति” जो कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण समिति थी, उसके अध्यक्ष पद के लिये बाबा साहेब को चुना गया। प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ. आंबेडकर ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। संविधान सभा में सदस्यों द्वारा उठायी गयी आपत्तियों, शंकाओं एवं जिज्ञासाओं का निराकरण उनके द्वारा बङी ही कुशलता से किया गया। उनके व्यक्तित्व और चिन्तन का संविधान के स्वरूप पर गहरा प्रभाव पङा। उनके प्रभाव के कारण ही संविधान में समाज के पद-दलित वर्गों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के उत्थान के लिये विभिन्न संवैधानिक व्यवस्थाओं और प्रावधानों का निरुपण किया ; परिणाम स्वरूप भारतीय संविधान सामाजिक न्याय का एक महान दस्तावेज बन गया।
1948 में बाबा साहेब मधुमेह से पीड़ित हो गए । जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो नैदानिक अवसाद और कमजोर होती दृष्टि से भी ग्रस्त रहे । अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और उनके धम्म को पूरा करने के तीन दिन के बाद 6 दिसंबर 1956 को अम्बेडकर इह लोक त्यागकर परलोक सिधार गये। 7 दिसंबर को बौद्ध शैली के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया जिसमें सैकड़ों हजारों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों ने भाग लिया। भारत रत्न से अलंकृत डॉ. भीमराव अम्बेडकर का अथक योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता , धन्य है वो भारत भूमि जिसने ऐसे महान सपूत को जन्म दिया ।
जयहिन्द जयभारत
PRAVEEN KUMAR KAIM